Shiv Ji Ki Aarti Lyrics: ॐ जय शिव ओंकारा Shankar Ji Ki Aarti Lyrics By Sing Anuradha Paudwal Jai Shiv Omkara. शिव जिसे महादेव के रूप में भी जाना जाता है हिंदू धर्म के प्रमुख देवता। वह शैव धर्म के भीतर, सर्वोच्च हिंदू समकालीन हिंदू धर्म के भीतर प्रमुख परंपराओं में से एक है। शिव को त्रिमूर्ति के भीतर “द विनाशक” के रूप में जाना जाता है, हिंदू त्रिमूर्ति जिसमें ब्रह्मा और विष्णु शामिल हैं। शैव मत परंपरा में, शिव सर्वोच्च प्राणियों में से एक हैं जो ब्रह्मांड की रचना, रक्षा और परिवर्तन करते हैं। शक्तिवाद परंपरा में, देवी या देवी को सर्वोच्च में से एक के रूप में वर्णित किया जाता है, फिर भी शिव विष्णु और ब्रह्मा के साथ पूजनीय हैं।
Contents
Shiv Ji Ki Aarti Lyrics
Om Jai Shiv Omkara Aarti Lyrics in Hindi
ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे। हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे। त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी। त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे। सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी। सुखकारी दुखहारी जगपालनकारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका। मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
लक्ष्मी, सावित्री पार्वती संगा। पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा। भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला। शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी। नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे। कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
Mahadev Ji Ki Aarti Details
Shiv Bhajan: Om Jai Shiv Omkara
Album: Aarti
Singer: Anuradha Paudwal
Composer: Shekhar Sen
Lyrics: Traditional
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